Monday, April 4, 2016

अंधेरा नहीं रखना चाहिए शाम के समय घर में


आपने बड़े-बुजुर्गो को अक्सर कहते सुना होगा कि शाम के समय घर में अंधेरा नहीं रखना चाहिए, क्योंकि सूर्यास्त का समय या संध्या का समय शास्त्रों के अनुसार भगवान की आराधना का समय माना गया है। हिंदू धर्म ग्रथों में भी संध्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही, संध्या के समय घर में दीपक लगाना या प्रकाश करना भी आवश्यक माना जाता है। संध्या का शाब्दिक अर्थ संधि का समय है यानि जहां दिन का समापन और रात शुरू होती है, उसे संधिकाल कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार दिनमान को तीन भागों में बांटा गया है- प्रात:काल, मध्याह्नï और सायंकाल।
संध्या पूजन के लिए प्रात:काल का समय सूर्योदय से छह घटी तक, मध्याह्न 12 घटी तक व सायंकाल 20 घटी तक रहता है। एक घटी में 24 मिनट होते हैं। प्रात:काल में तारों के रहते हुए, मध्याह्नï में जब सूर्य मध्य में हो व सायं सूर्यास्त के पहले संध्या करना चाहिए। संध्या से तात्पर्य पूजा या भगवान को याद करने से हैं शास्त्रों की मान्यता है कि नियमपूर्वक संध्या करने से पाप रहित होकर ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

रात या दिन में हम से जाने अनजाने जो बुरे काम हो जाते हैं, वे त्रिकाल संध्या से नष्ट हो जाते है। घर में संध्या के दीपक जलाना या प्रकाश रखना आवश्यक माना गया है क्योंकि घर में शाम के समय अंधेरा रखने पर नकारात्मक ऊर्जा का स्थाई निवास होता है। घर में बरकत नहीं रहती और घर में अलक्ष्मी का वास होता है। इसलिए शाम को घर में अंधेरा नहीं रखना चाहिए।

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