Monday, April 25, 2016

पूजन में कर्पूर क्यों जलाते हैं?


देवी-देवताओं के पूजन में किए जाने वाले सभी कर्मों का संबंध धर्म के साथ ही हमारे स्वास्थ्य से भी है। पूजन में आरती करना महत्वपूर्ण कर्म है और आरती में कर्पूर भी अनिवार्य रूप से जलाया जाता है। कर्पूर जलाने की परंपरा के पीछे भी कई कारण मौजूद हैं। कर्पूर तीव्र उड़नशील वानस्पतिक द्रव्य है। यह सफेद रंग का होता है। इसमें तीखी गंध होती है।
कर्पूर जलाने का धार्मिक महत्व
कर्पूर जलाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं के समक्ष कर्पूर जलाने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। जिस घर में नियमित रूप से कर्पूर जलाया जाता है, वहां पितृदोष या किसी भी प्रकार के ग्रह दोषों का असर नहीं होता है। कर्पूर जलाने से वातावरण पवित्र और सुगंधित होता है। ऐसे वातावरण से भगवान अति प्रसन्न होते हैं। कर्पूर के प्रभाव से घर का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, इसकी महक से हमारे विचारों में भी सकारात्मकता आती है।
कर्पूर जलाने का वैज्ञानिक महत्व
कर्पूर जलाने का वैज्ञानिक महत्व भी है। कर्पूर एक सुगंधित वस्तु है और इसे जलने पर कर्पूर की महक वातावरण में तेजी से फैल जाती है। इसकी महक से वातावरण में मौजूद कई सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। कर्पूर जलाने से वातावरण की शुद्ध हो जाता है।
यदि आप रात को सोने से पहले कर्पूर जलाकर सोएंगे तो इससे चमत्कारी रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा करने पर अनिद्रा की शिकायत दूर हो जाती है, बुरे सपने नहीं आते हैं।
कर्पूर जलाते समय इस मंत्र का जप करें...

कर्पूरगौरम् करुणावतारम्, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तम् हृदयारविन्दे, भवम् भवानि सहितम् नमामि।।
आरती में जब भी कर्पूर जलाया जाता है तो इस मंत्र का जप किया जाता है। मूल रूप से यह मंत्र भगवान शंकर की आराधना के लिए है। इसका अर्थ इस प्रकार है...
कर्पूरगौरम् यानी जो कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले हैं
करुणावतारम् यानी जो करुणा के साक्षात् अवतार हैं
संसारसारम् यानी जो इस समस्त संसार के एकमात्र सार हैं
भुजगेन्द्रहारम् यानी जो भुजंग (सांप) की माला धारण किए रहते हैं
सदा वसन्तम् हृदयारविन्दे, भवम् भवानि सहितम् नमामि।। यानी जो माता पार्वती के साथ ही, सभी भक्तों के कमल रूपी हृदय में सदैव निवास करते हैं, उन महादेव की हम वंदना करते हैं, आराधना करते हैं, उन्हें नमन करते हैं।
http://religion.bhaskar.com/news/AK-worship-method-about-kapur-4871572-PHO.html

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