Saturday, January 23, 2016

ये 8 काम करने वाले होते हैं बुरे इंसान : श्रीरामचरितमानस


श्रीरामचरितमानस के एक प्रसंग में भगवान शिव ने पार्वती को 8 ऐसे कामों के बारे में बताया है, जिन्हें केवल राक्षस यानी बुरे इंसान ही करते हैं। आज हम आपको उन्हीं बुरे कामों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-
चौपाई
बाढ़े खल बहु चोर जुआरा। जे लंपट परधन परदारा।।
मानहिं मातु पता नहिं देवा। साधुन्ह सन करवावहिं सेवा।।
जिन्ह के यह आचरन भवानी। ते जानेहु निसिचर सब प्रानी।।
अर्थ- 1. पराए धन और 2. पराई स्त्री पर मन चलाने वाले, 3. दुष्ट, 4. चोर और 5. जुआरी बहुत बढ़ गए हैं। लोग 6. माता-पिता और 7. देवताओं को नहीं मानते और 8. साधुओं से सेवा करवाते हैं। हे भवानी। जिनके ऐसे आचरण हैं, उन सब प्राणियों को राक्षस (बुरा इंसान) ही समझना चाहिए।
1. पराई स्त्री पर नजर रखने वाला
पराई स्त्री पर नजर रखना मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण है। जिसमें भी यह अवगुण होता है, वह निश्चित रूप से भ्रष्ट आचरण वाला होता है। ऐसे लोगों का पतन भी निश्चित होता है। धर्म ग्रंथों में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जहां राक्षसों ने पराई स्त्रियों पर नजर डाली और उनका सर्वनाश हो गया। पराई स्त्री मोह का प्रतीक है, जो भी इस मोह में फंसता है, वह धन, संपत्ति के साथ स्वयं भी नष्ट हो जाता है।विज्ञाप
Skip t2. चोरी  तथ  3. जुआ
चोरी करने व जुआ खेलने वाला मनुष्य भी बुरा ही होता है। चोरी यानी बिना किसी परिश्रम के दूसरे के धन पर अधिकार कर लेना तथा जुआ यानी छलपूर्वक धन अर्जित करना, ये दोनों ही अवगुण राक्षसी प्रवृत्ति के सूचक माने गए हैं। ये वो अवगुण हैं, जिनकी वजह से न सिर्फ किसी व्यक्ति का नाश होता है बल्कि एक दिन ये परिवार, समाज व राज्य के पतन का कारण भी बनते हैं। इसलिए इन दो अवगुणों को तुरंत ही त्याग देना चाहिए।
4. दूसरे के धन पर नजर रखने वाला
जो लोग अपने धन से संतुष्ट नहीं होते, वे हमेशा दूसरों के धन पर नजर रखते हैं। ऐसे लोगों की प्रवृत्ति राक्षस के समान होती है क्योंकि राक्षस भी स्वयं मेहनत नहीं करते और दूसरे लोगों के धन पर अपना अधिकार सिद्ध कर या बलपूर्वक छिनकर उसका उपभोग करते हैं। इसलिए दूसरों के धन पर नजर न रखते हुए स्वयं के परिश्रम द्वारा प्राप्त धन से ही संतुष्ट होना चाहिए।
5. भगवान को न मानने वाला
लोग भगवान को नहीं मानते, उन्हें नास्तिक कहते हैं। राक्षस यानी बुरे लोग भी ऐसे ही होते हैं। वे स्वयं को ही सबसे अधिक शक्तिशाली मानते हैं और घमंड में चूर होकर बुरे काम करते हैं। मूल रूप से देखा जाए तो भगवान किसी एक मूर्ति या तस्वीर में निहित नहीं हैं, वह तो एक शक्ति है जो संसार पर नियंत्रण रखती है और जो मनुष्य इस शक्ति को मानने से इंकार करता है, किसी न किसी रूप में उसे नुकसान उठाना ही पड़ता है।
6. साधुओं से सेवा करवाने वाला
हिंदू धर्म में साधु-संतों को बहुत ही आदर दिया जाता है। इसके विपरीत जो लोग साधु-संतों का अपमान करते हैं व उनसे सेवा करवाते हैं, वे भी राक्षस यानी बुरे माने गए हैं। साधु-संत सभी को समभाव से देखते हैं और ईश्वर आराधना में लगे रहते हैं। बुरे लोगों की आदत होती है कि वे सीधे-सादे लोगों को परेशान करते रहते हैं। ऐसे लोग भी अपने जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाते।
7. माता-पिता की बात न मानने वाला
सभी धर्मों में माता-पिता को प्रथम पूजनीय बताया गया है। माता-पिता अपनी संतान के पालन-पोषण के लिए अनेक त्याग करते हैं और बड़ी होने पर जब संतान उनसे अनुचित व्यवहार करती है तो उनके मन को बहुत पीड़ा होती है। जो मनुष्य अपने माता-पिता की बात नहीं मानता तथा उनका अपमान करता है, वह भी बुरा होता है। ऐसे लोग बुजुर्गों से बात करते समय भी मान-मर्यादा, उचित-अनुचित आदि का ध्यान नहीं रखते।
8. दुष्ट
जो मनुष्य दूसरों को परेशानी में डालकर या दु:ख पहुंचा कर प्रसन्न होते हैं, उसे दुष्ट कहते हैं। राक्षसों की प्रवृत्ति भी ऐसी ही होती है। उन्हें दूसरों को कष्ट में देखकर मजा आता है और वे स्वयं भी लोगों को दु:ख पहुंचाते हैं। श्रीरामचरितमानस के अनुसार, दुष्ट मनुष्य में भी राक्षसी प्रवृत्ति अधिक होती है। इसलिए ऐसे लोगों को भी राक्षस ही समझना चाहिए।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DGRA-ramcharitmanas-these-are-the-bad-person-who-did-this-8-works-5227782-PHO.html?

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