मनुष्य के जीवन में चिह्नों और
संकेतों का बहुत उपयोग है। भारतीय संस्कृति में मिट्टी के दिये में प्रज्जवलित
ज्योत का बहुत महत्त्व है।
दीपक हमें अज्ञान को दूर करके
पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का संदेश देता है। दीपक
अंधकार दूर करता है। मिट्टी का दीया मिट्टी से बने हुए मनुष्य शरीर का
प्रतीक है और उसमें रहने वाला तेल अपनी जीवनशक्ति का प्रतीक है। मनुष्य अपनी जीवनशक्ति से
मेहनत करके संसार से अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाये ऐसा संदेश दीपक हमें
देता है। मंदिर में आरती करते समय दीया जलाने के पीछे यही भाव रहा है कि भगवान
हमारे मन से अज्ञान रूपी अंधकार दूर करके ज्ञानरूप प्रकाश फैलायें। गहरे अंधकार से
प्रभु! परम प्रकाश की ओर ले चल।
दीपावली के पर्व के निमित्त
लक्ष्मीपूजन में अमावस्या की अन्धेरी रात में दीपक जलाने के पीछे भी यही उद्देश्य
छिपा हुआ है। घर में तुलसी के क्यारे के पास भी दीपक जलाये जाते हैं। किसी भी नयें
कार्य की शुरूआत भी दीपक जलाने से ही होती है। अच्छे संस्कारी पुत्र को भी
कुल-दीपक कहा जाता है। अपने वेद और शास्त्र भी हमें यही शिक्षा देते हैं- हे
परमात्मा! अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से
अमरता की ओर हमें ले चलो। ज्योत से ज्योत जगाओ इस आरती के पीछे भी यही भाव रहा है।
यह है भारतीय संस्कृति की गरिमा।
http://www.hariomcare.com/2013/02/blog-post_7148.html
हिन्दू मान्यता के अनुसार दीपक का महत्व बहुत है. किसी भी पूजा को पूरी करने के लिए दीपक जलाना बहुत ही शुभ माना जाता हैं.
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