गणेश जी भगवान शिव व देवी
पार्वती की संतान है। परम तत्व से जन्म लेने के कारण वैसे भी गणेश जी दिव्य है। वे
गणों के प्रमुख यानी लीडर हैं। उनके परिवार में दो पत्नी और दो पुत्र हैं। पत्नी
रिद्धि और सिद्धि हैं। रिद्धि का अर्थ समृद्धि यानी भौतिक वैभव से है और सिद्धि का
अर्थ काम को करने की क्षमता देने वाली शक्ति से है। इसी तरह उनके दो पुत्र लाभ और
क्षेम है। लाभ का अर्थ है फायदा और क्षेम का अर्थ है जो फायदा हुआ है उसकी रक्षा
करने वाला।
इस तरह गणेशजी स्वयं नेतृत्व के
प्रतीक हैं उनकी दो पत्नियां समृद्धि और क्षमता को देने वाली है तथा एक पुत्र
फायदा तो दूसरा मिले फायदे की रक्षा करता है। भाग्यशाली पुरुष को इन्हीं सबकीं
आवश्यकता होती है। हर व्यक्ति चाहता है उसके जीवन में सुख हो, शांति हो, सामर्थ्य हो और यह सब जो उसने
प्राप्त किया है वह सुरक्षित रहे। इस तरह गणेशजी की आराधना व्यक्ति के भाग्य का
निर्माण करती है। इसलिए गणेशजी भाग्य के देवता है, क्योंकि
उनकी आराधना से उनका समूचा परिवार प्रसन्न होकर भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है।
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