Saturday, February 4, 2017

क्या है महत्व:-महिलाएँ क्यों पहनती हैं बिछिया और पायल ?

भारत एक ऐसा देश है जहां पर विभिन्न धर्म है। इन धर्मों में कई तरह के रीति-रिवाज और परंपराए है। खासतौर में हिंदू धर्म में। हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें आज हर शुभ काम हो या फिर कोई खास मौका सभी में रिवाज होता है। लेकिन आप जानते है कि इन सभी कामों से हमारे शरीर को कितना फायदा मिलता है। साथ ही इससे हमारे दिमाग में भी अधिक प्रभाव पड़ता है।हिंदू धर्म में एक चीज सबसे अलग है वो है किसी महिला का सोलह श्रृंगार। जो पूरी दुनिया में भी फेमस है। इस सोलह श्रृंगार में माथे की बिंदी से लेकर पांव में पहनी जाने वाली बिछिया तक होता है। हर एक चीज का अपना एक महत्व है। परंपराओं की दृष्टि से तो इनके महत्व रोचक हैं। जानिए पांव में पहने जाने वाली बिछिया के पीछे क्या है कारण साथ ही वैज्ञानिक तर्क क्या है।
बिछिया जिसे हिंदू और मुस्लमान दोनों धर्म की महिलाएं पहनती है। कई लोग तो इसे सिर्फ शादी का प्रतीक चिंह ही मानते है, लेकिन क्या आप जानते है कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। शायद ही आपको यह बात पता हो कि इसे पहनने का सीधा संबंध उनके गर्भाशय से है। विज्ञान में माना जाता है कि पैरों के अंगूठे की तरफ से दूसरी अंगुली में एक विशेष नस होती है जो गर्भाशय से जुड़ी होती है। यह गर्भाशय को नियंत्रित करती है और रक्तचाप को संतुलित कर इसे स्वस्थ रखती है।
प्राचीनकाल में स्त्रियों व लड़कियों को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाया जाता था| जब घर के सदस्य के साथ बैठे होते थे तब यदि पायल पहने स्त्री की आवाज आती थी तो वह पहले से सतर्क हो जाते थे ताकि वह व्यवस्थित रूप से आने वाली उस महिला का स्वागत कर सकें| पायल की वजह से ही सभी को यह एहसास हो जाता है कि कोई महिला उनके आसपास है अत: वे शालीन और सभ्य व्यवहार करें। ऐसी सारी बातों को ध्यान में रखते हुए लड़कियों के पायल पहनने की परंपरा लागू की गई।
वहीँ, वास्तु के अनुसार, पायल व बिछिया की आवाज से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है इसके अलावा दैवीय शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती है यह भी इसका एक कारण हो सकता है| इसके अलावा पायल की धातु हमेश पैरों से रगड़ाती रहती है जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद है। इससे उनके पैरों की हड्डी को मजबूती मिलती है। बिछिया को कई लोग तो इसे सिर्फ शादी का प्रतीक चिंह ही मानते है, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी यही है कि इसे पहनने का सीधा संबंध उनके गर्भाशय से है। विज्ञान में माना जाता है कि पैरों के अंगूठे की तरफ से दूसरी अंगुली में एक विशेष नस होती है जो गर्भाशय से जुड़ी होती है। यह गर्भाशय को नियंत्रित करती है और रक्तचाप को संतुलित कर इसे स्वस्थ रखती है। बिछिया के दबाव से रक्तचाप नियमित और नियंत्रित रहती है और गर्भाशय तक सही मात्रा में पहुंचती रहती है। यह बिछिया अपने प्रभाव से धीरे-धीरे महिलाओं के तनाव को कम करती है, जिससे उनका मासिक-चक्र नियमित हो जाता है। साथ ही इसका एक और फायदा है। इसके अनुसार बिछिया महिलाओं के प्रजनन अंग को भी स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। बिछिया महिलाओं के गर्भाधान में भी सहायक होती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि दोनों पैरों में चांदी की बिछिया पहनने से महिलाओं को आने वाली मासिक चक्र नियमित हो जाती है। इससे महिलाओं को गर्भ धारण में आसानी होती है। चांदी विद्युत की अच्छी संवाहक मानी जाती है। धरती से प्राप्त होने वाली ध्रुवीय उर्जा को यह अपने अंदर खींच पूरे शरीर तक पहुंचाती है, जिससे महिलाएं तरोताज़ा महसूस करती हैं।
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