Monday, February 6, 2017

श्रीकृष्ण को भी इन 2 कारणों से छोड़ना पड़ा था शरीर, जानें क्या थे ये श्राप

महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद जब युधिष्ठिर का राजतिलक हो रहा था। तब कौरवों की माता गांधारी ने कौरवों की मौत और महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया। उन्होंने कहा जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है, ठीक उसी तरह यदुवंश का भी नाश होगा और साथ ही 36 वर्ष बाद आपको भी ये देह छोड़नी होगी। इसी श्राप के चलते श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़कर यदुवंशियों को लेकर प्रभास क्षेत्र में आ गए।

कई वर्ष बीत गए। एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को शरारत सूझी। वो कुछ और यदुवंशियों के साथ ऋषि दुर्वासा, वशिष्ठ और नारद जो किसी काम से प्रभास आए थे। उनके पास गर्भवती स्त्री का रूप बनाकर पहुंचा। सांब ने ऋषियों से कहा कि वो गर्भवती है और उसके बच्चे का लिंग बताएं। ऋषियों ने उस पर क्रोधित होकर कहा कि उसके गर्भ से एक मूसल का जन्म होगा। जिससे पूरे यदुवंश का विनाश होगा। ऋषियों की इस श्राप से यदुवंशी घबरा गए और उन्होंने सारी बात उग्रसेन को बताई।

उग्रसेन ने श्राप को विफल करने के लिए मूसल का चूरा करवाकर उसे समुद्र में फिंकवा दिया। उस चूरे का एक टुकड़ा मछली निगल गई और बाकि मूसल समुद्र के किनारे घास के रूप में उग गई। श्राप से प्रभावित यदुवंशी मदिरा पीकर लड़ने लगे और नशे में एक दूसरे पर घास से प्रहार करने लगे। घास प्रहार करते समय मूसल का रूप ले लेती इसी कारण सारे यदुवंश का अंत हुआ। जो टुकड़ा मछली ने निगल लिया वो एक बहलिए को मिल गया और उसने उसका तीर बना लिया। प्रभास क्षेत्र में श्रीकृष्ण ध्यानस्थ थे तब वो तीर उनके पंजे पर जा लगा जिसे बहलिए ने चमकता देख हिरण की आंख समझ लिया था। इस तीर के लगने पर उन्होंने शरीर छोड़ दिया। उसके बाद श्रीकृष्ण की रानियां और यदुवंश के बचे लोग अर्जुन के साथ इंद्रप्रस्थ चले गए।

http://religion.bhaskar.com/news/JM-JMJ-KAK-gandhari-curse-to-shri-krishna-news-hindi-5519221-NOR.html

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