श्रीगणेश प्रथम पूज्य देव
हैं और इनके अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने पर सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त
होती है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत गणेशजी के पूजन के साथ ही होती है, इससे कार्य में सफलता मिलती
है, काम बिना किसी विघ्न (बाधा) के पूरा हो जाता है। यहां जानिए
श्रीगणेश के 4 ऐसे स्वरूप, जिनकी पूजा से घर-परिवार पर
देवी लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और दरिद्रता दूर होती है।
विशेष पूजा हर रोज या किसी भी शुभ और श्रेष्ठ मुहूर्त में की जा सकती है।
1.हल्दी की गांठ से बने गणेश
हल्दी की ऐसी गांठ चुनिए, जिसमें श्रीगणेश की आकृति दिखाई
दे रही हो। इस हल्दी की गांठ में गणेशजी का ध्यान करते हुए हर रोज पूजन करें। ये
गणेश प्रतिमा भी पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। यदि सोने की धातु से बनी गणेश
प्रतिमा नहीं है तो हल्दी से बनी गणेश प्रतिमा का पूजन किया जा सकता है। सोने से
बनी और हल्दी से बनी, गणेश प्रतिमा समान फल प्रदान करती है।
2.गोमय यानी गोबर से बनी गणेश मूर्ति
गाय
को माता माना जाता है। गौमाता पूजनीय और पवित्र हैं। पुरानी परंपराओं के अनुसार
गाय के गोबर यानी गोमय में महालक्ष्मी का निवास माना गया है। यही वजह है कि गोमय
से बनी गणेश मूर्ति की पूजा, धन लाभ देने वाली मानी गई है। गोबर से गणेशजी की आकृति
बनाएं और इस प्रकार तैयार की हुई गणेश प्रतिमा का पूजन करें। पुराने समय में
सुख-समृद्धि की कामना से हर रोज घर की जमीन पर गोबर लिपा जाता था। इससे घर का
वातावरण पवित्र और सकारात्मक बना रहता है।
3.लकड़ी के गणेश
पेड़-पौधे
भी पूजनीय और पवित्र माने गए हैं। प्राकृतिक रूप से खास वृक्षों की लकड़ी में भी
लक्ष्मी का वास माना गया है। खास वृक्ष जैसे, पीपल, आम, नीम आदि। काष्ठ यानी लकड़ी से
बनी भगवान गणेश की मूर्ति को घर के मुख्य दरवाजे के बाहर ऊपरी हिस्से पर लगाएं। हर
रोज इस प्रतिमा की पूजा करने पर घर में वातावरण शुभ बना रहता है और लक्ष्मी की
कृपा प्राप्त होती है।
4.श्वेतार्क गणेश
सफेद
आंकड़े की जड़ में गणेशजी की आकृति (मूर्ति) बन जाती है। इसे श्वतार्क गणेश कहा
जाता है। इस मूर्ति की पूजा से सुख-सौभाग्य बढ़ता है। रविवार या पुष्य नक्षत्र में
श्वेतार्क गणेश की मूर्ति घर लेकर आएं और नियमित रूप से विधि-विधान के साथ पूजा
करें। इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
ऐसे
कर सकते हैं श्रीगणेश की सामान्य पूजा
सुबह
जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं। पीले वस्त्र धारण करें। भगवान
गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराएं। इसके बाद
सिंदूर, पीला चंदन, पीले फूल, अक्षत, जनेऊ, पीला रेशमी वस्त्र, दूर्वा और लड्डू का प्रसाद
अर्पित करें। श्रीगणेश की पूजन-आरती करें। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।
पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
इन
मंत्रों का भी जप किया जा सकता है...
ऊँ गणाधिपाय नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:
ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:
ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:
ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:
इस
तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JYO-RAN-worship-tips-for-ganeshji-in-hindi-for-prosperity-and-money-news-hindi-5535771-PHO.html
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