Saturday, August 13, 2016

शिव के इस अवतार ने किया था शनिदेव पर वार, फिर क्या हुआ?

पवित्र श्रावण मास चल रहा है। इस महीने में भगवान शिव के पूजन करने का विशेष महत्व है। हमारे धर्म ग्रंथों में भगवान शिव की अनेक अवतारों के बारे में भी बताया गया है, लेकिन बहुत कम लोग शिव के इन अवतारों के बारे में जानते हैं। आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे अवतार के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने शनिदेव पर भी प्रहार कर दिया था, जिसके कारण शनिदेव की गति मंद यानी धीरे हो गई।
 
दधीचि मुनि के पुत्र थे पिप्पलाद
पुराणों के अनुसार, भगवान शंकर ने अपने परम भक्त दधीचि मुनि के यहां पुत्र रूप में जन्म लिया। भगवान ब्रह्मा ने इनका नाम पिप्पलाद रखा, लेकिन जन्म से पहले ही इनके पिता दधीचि मुनि की मृत्यु हो गई। युवा होने पर जब पिप्पलाद ने देवताओं से अपने पिता की मृत्यु का कारण पूछा तो उन्होंने शनिदेव की कुदृष्टि को इसका कारण बताया।
 
पिप्पलाद यह सुनकर बड़े क्रोधित हुए और उन्होंने शनिदेव के ऊपर अपने ब्रह्म दंड का प्रहार किया। शनिदेव ब्रह्म दंड का प्रहार नहीं सह सकते थे इसलिए वे उससे डर कर भागने लगे। तीनों लोगों की परिक्रमा करने के बाद भी ब्रह्म दंड ने शनिदेव का पीछा नहीं छोड़ा और उनके पैर पर आकर लगा।

शिव भक्तों को कष्ट नहीं देते शनिदेव

मुनि पिप्पलाद द्वारा फेंके गए ब्रह्म दंड के पैर पर लगने से शनिदेव लंगड़े हो गए। तब देवताओं ने पिप्पलाद मुनि से शनिदेव को क्षमा करने के लिए कहा। देवताओं ने कहा कि शनिदेव तो न्यायाधीश हैं और वे तो अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। आपके पिता की मृत्यु का कारण शनिदेव नहीं है। देवताओं के आग्रह पर पिप्पलाद मुनि से शनिदेव को क्षमा को कर दिया।
देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ने शनि को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक के शिवभक्तों को कष्ट नहीं देंगे, यदि ऐसा हुआ तो शनिदेव भस्म हो जाएंगे। तभी से पिप्पलाद मुनि का स्मरण करने मात्र से शनि की पीड़ा दूर हो जाती है।

इसलिए नाम पड़ा पिप्पलाद

भगवान पिप्पलाद का जन्म पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ। पीपल के नीचे ही तप किया और पीपल के पत्तों को ही भोजन के रूप में ग्रहण किया था इसलिए शिव के इस इस अवतार का नाम पिप्पलाद पड़ा। कहते हैं स्वयं ब्रह्मा ने ही शिव के इस अवतार का नामकरण किया था। शिवपुराण में इसका उल्लेख मिलता है-

पिप्पलादेति तन्नाम चक्रे ब्रह्मा प्रसन्नधी:।
शिवपुराण शतरुद्रसंहिता 24/61

अर्थात ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर उस बालक का नाम पिप्पलाद रखा।
http://religion.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-piplad-is-a-avtar-of-lord-shiva-news-hindi-5393829-PHO.html

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