Friday, June 17, 2016

बच्चे परेशान रहते हैं तो ध्यान रखें

असफलता कोई नहीं चाहता। सफलता जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। फिर आजकल तो सफलता के लिए जीवन झोंक दिया जाता है। सफलता की अंधी दौड़ चल रही है। यदि आप गिरे तो कोई न तो आपके लिए रुकेगा, न उठाएगा, बल्कि यह भीड़ पैरों तले रौंदते हुए निकल जाएगी। आपका शव आपके ही लोग नहीं पहचान पाएंगे। मृत्यु का ऐसा वर्णन ठीक नहीं है। देश के कोने-कोने से परीक्षा में असफल होने पर आत्महत्या करने की खबरें आ रही हैं। इसके दो कारण हैं- नासमझी और दबाव। ये दोनों ही आसपास के लोगों की देन हैं। जिनके ऊपर इनके लालन-पालन की जिम्मेदारी है, सावधानी उन्हें रखनी होगी। इस उम्र के पास जितना जोश है, उतनी ही तीव्र निराशा भी है। हम बच्चों को बहुत अधिक हिदायतें न दें। कुछ मां-बाप को बीमारी-सी लग जाती है। हर गतिविधि, निर्णय पर समझाने बैठ जाते हैं। इसकी बजाय अधिक समय दें।
बच्चों को दिया जाने वाला जो समय है, उसका ठीक से अर्थ समझें। इसमें पहला काम यह करें कि उन्हें खूब सुनें। वे आपके सामने पूरी तरह से खुल जाने चाहिए। वे भीतर से खाली हो जाएं। तब उन्हें इस तरह समझाएं कि उसमें सहयोग का भाव ज्यादा हो। हुक्म की शक्ल में ज्ञान न बांटें। इसे मदद के रूप में पेश करें। यदि आपको यह अंदाज हो जाए कि आपका बेटा या बेटी इन दिनों कुछ परेशान हैं, सफलता प्राप्त करने के दबाव में हैं, तो उन्हें अकेला बिल्कुल न छोड़ें। यह अकेलापन अच्छे-अच्छों को मार डालता है। किसी का अकेलापन मिटाने के लिए समय देना पड़ता है, इसलिए बच्चों के मामले में समय को लेकर सावधान हो जाएं। यदि वे मृत्यु का आलिंगन करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, तो केवल आपका प्रेम उन्हें नहीं रोक पाएगा, आपकी सजगता ही उनका जीवन बन सकेगी।
पं. विजयशंकर मेहता
http://religion.bhaskar.com/news/JM-FMT-family-management-tips-about-children-in-home-5340021-NOR.html

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