ज्योतिष
में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य कमजोर हो तो इंसान में
आत्मविश्वास की कमी होती है। शरीर थका रहता है। मन में संघर्ष करने की इच्छा शक्ति
नहीं होती है। ऐसी
स्थिति में सूर्य की आराधना करने की सलाह दी जाती है। सूर्य आराधना के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र
उपयुक्त माना गया है। इसके पाठ से सूर्य से जुड़े सारे दोष दूर होते हैं। शरीर में
स्फूर्ति और आत्मविश्वास भरता है।
रामायण
में भी मिलता है जिक्र
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वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड (लंका कांड) में कहानी
आती है कि भगवान राम राक्षसों से युद्ध कर रहे हैं।
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कई राक्षसों को मारने के बाद अचानक रावण युद्ध करने
के लिए सामने आ गया। भगवान राम थके हुए से थे, क्योंकि वो लंबे समय से युद्ध कर रहे थे।
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रावण एकदम तरोताजा था। तब भगवान शिव के शिष्य अगस्त्य
ऋषि वहां आए और भगवान राम से कहा कि वे तीन बार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करके
फिर युद्ध करें।
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भगवान राम ने यही किया। इस स्तोत्र के प्रभाव से उनकी
सारी थकान मिट गई। मन आत्म विश्वास से भर गया। उसी युद्ध में भगवान राम ने रावण को
मारा था।
ऐसे
करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ
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सुबह सूर्योदय से पहले जागें।
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स्नान के बाद भगवान सूर्य को तांबे के लोटे में जल
भरकर अर्घ्य दें।
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अगर संभव हो तो वहीं कुशा का आसन बिछाकर बैठें या घर
के मंदिर में बैठें।
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भगवान सूर्य का ध्यान करें। ऊँ आदित्याय नमः मंत्र का
11 बार जाप करें।
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फिर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
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