मार्गशीर्ष मास अत्यन्त पवित्र है
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के नवम माह का नाम मार्गशीर्ष है। इस माह को अगहन भी कहा जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के नवम माह का नाम मार्गशीर्ष है। इस माह को अगहन भी कहा जाता है।
मार्गशीर्ष का सम्पूर्ण मास अत्यन्त पवित्र माना जाता है।मास भर बड़े प्रात:काल भजन मण्डलियाँ भजन तथा कीर्तन करती हुई निकलती हैं।
गीता में स्वयं भगवान ने कहा है मासाना मार्गशीर्षोऽयम्।
सत युग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया। इसी मास में कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की। इसलिए इसी मास में महोत्सवों का आयोजन होना चाहिए।मार्गशीर्ष शुक्ल 12 को उपवास प्रारम्भ कर प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करना चाहिए।प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए। इससे पूजक 'जातिस्मर' पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुँच जाता है, जहाँ फिर से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की अवश्य ही पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था। इस दिन गौओं का नमक दिया जाए, तथा माता, बहिन, पुत्री और परिवार की अन्य स्त्रियों को एक-एक जोड़ा वस्त्र प्रदान कर सम्मानित करना चाहिए। इस मास में नृत्य-गीतादि का आयोजन कर एक उत्सव भी किया जाना चाहिए।
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को ही 'दत्तात्रेय जयन्ती' मनायी जानी चाहिए।
मार्गशीर्ष मास विशेष
(इस साल 29 Nov' 2012 to 28th Dec' 2012 )
१) मार्गशीर्ष मास में इन तीन के पाठ की बहुत ज्यादा महिमा है ..... विष्णुसहस्त्र नाम ....भगवत गीता.... और गजेन्द्रमोक्ष की खूब महिमा है...खूब पढ़ो .... दिन में २ बार -३ बार
२) इस मास में 'श्रीमद भागवत' ग्रन्थ को देखने की भी महिमा है .... स्कन्द पुराण में लिखा है .... घर में अगर भागवत हो तो एक बार दिन में उसको प्रणाम करना
३) इस मास में अपने गुरु को .... इष्ट को ...." ॐ दामोदराय नमः " कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है
४) शंख में तीर्थ का पानी भरो और घर में जो पूजा का स्थान है उसमें भगवान - गुरु उनके ऊपर से शंख घुमाकर भगवान का नाम बोलते हुए वो जल घर की दीवारों पर छाटों ...... उससे घर में शुद्धि बढ़ती है...शांति बढ़ती है ....कलेश झगड़े दूर होते है।
जाने अगहन मास को क्यों कहते हैं मार्गशीर्ष
हिन्दू धर्म के अनुसार वर्ष का नवां महीना अगहन कहलाता है| अगहन मास को मार्गशीर्ष नाम से भी जाना जाता है| क्या आपको पता है अगहन मास को मार्गशीर्ष नाम से क्यों जाना जाता है? यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि अगहन मास को मार्गशीर्ष नाम से क्यों जानते हैं|
आपको बता दें कि अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे भी कई तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही एक रूप है।
अगहन मास को मार्गशीर्ष क्यों कहा जाता है? इस संबंध में शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र 27 होते हैं जिसमें से एक है मृगशिरा नक्षत्र| इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है|
भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि सभी महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस माह में नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास की महत्ता गोपियों को भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा। तभी से इस माह में नदी स्नान का खास महत्व माना गया है।
मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान के समय ऊँ नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
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