Thursday, August 8, 2013

dharmajagratisangh

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2 comments:

  1. इस दिशा में मुंह करके खाना खाएंगे तो प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी, ध्यान रखें ये बातें
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    तस्वीरों का प्रयोग प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
    उज्जैन। धर्मग्रंथों में भगवान के दर्शन के लिए सबसे पहले अन्न को ही ब्रह्म रूप में देखने की सीख देकर लिखा गया है। 'अन्नं ब्रह्म इति व्याजाना। साथ ही, भोजन व भोजन की शैली के बारे में भी अनेक बातें कही गए हैं। इसमें से प्रमुख है....

    सुरभिस्त्वं जगन्मातर्देवि विष्णुपदे स्थिता।
    सर्वदेवमयी ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।।

    गौरतलब है कि आज के दौर में गुजरे जमाने की तुलना में भोजनशैली और व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। जाहिर है इससे इंसान की सेहत, सोच, स्वभाव और व्यवहार में भी हुए कई बुरे बदलाव अक्सर बीमारियों या उग्र स्वभाव के रूप में नजर आते हैं। हमारे धर्मग्रंथों में भोजन को भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। कहा गया है कि यदि भोजन के समय कुछ छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा जाए तो शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है। साथ ही, मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं।

    - भोजन के दौरान पूर्व दिशा में मुंह रखकर खाना खाने से उम्र बढ़ती है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुंह रख भोजन करने से श्री यानी मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, वैभव व तमाम सुख-शांति के साथ लक्ष्मी कृपा बरसती है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह रखकर भोजन करने से भरपूर यश मिलता है व उत्तर दिशा में भोजन करने से सत्य मिलता है यानी व्यक्ति का जीवन सात्विक प्रवृत्ति व आचरण के साथ गुजरता है।
    - हिन्दू धर्म में भोजन से जुड़ी परंपराओं में श्राद्ध हो या बलिवैश्वदेव अलग-अलग रूप में हर रोज भोजन का पहला ग्रास अलग-अलग प्राणियों को देना भी जरूरी बताया गया है। इनमें सबसे ज्यादा शुभ है- देवप्राणी गाय को गो ग्रास देना। खाने से पहले गो ग्रास देने से घर पर हमेशा लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।

    - कम खाने से इंसान निरोगी रहता है तो जाहिर है कि उसकी उम्र बढ़ती है यानी लंबे वक्त तक जीवित रहता है। कम भोजन से बना सेहतमंद और बलवान शरीर। मन, वचन व व्यवहार को भी साधकर जीवन के सारे सुख बटोरना आसान बना देता है। साथ ही, कम खाने वाले इंसान पर मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती है जबकि बहुत अधिक खाने से घर में दरिद्रता रहती है।
    - भोजन से पहले आचमन करना चाहिए। उसके बाद सिर, मस्तक आदि ऊपरी अंगों को गीले हाथों से छूना चाहिए। इस तरह हाथ, पैर और मुंह को गीला कर भोजन करने से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। इस क्रिया को ''पञ्चाद्र्र'' शब्द से भी पुकारा गया है।

    - जिस भोजन को ग्रहण कर रहें हैं उसकी बुराई न करें। भोजन के बाद भी आचमन और मुख प्रक्षालन यानी मुंह धोकर सिर, मस्तक आदि ऊपरी अंगों को गीले हाथों से छूकर उठना चाहिए।
    - खाने के वक्त बिल्कुल शांत रहना चाहिए। भोजन के सामने आने पर प्रसन्न होना चाहिए। मन की सारे तनाव अन्न के दर्शन कर भूल जाना चाहिए।

    अन्न का सम्मान करते हुए उसे पहले प्रतीकात्मक तौर पर प्राण वायु को देना चाहिए यानी भोजन से पहले गहरी सांस लेना चाहिए और भगवान का आवाह्न करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।
    http://religion.bhaskar.com/news-hf/DHA-dharm-worship-of-godess-laxmi-4723742-NOR.html

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  2. इतनी रोचक जानकारी इतने सरल शब्दों में सिर्फ आप ही दे सकते हैं. धन्यवाद. कृपया यह भी बताये कि क्यों भरता है दूल्हा दुल्हन की ,मांग में सिन्दूर?

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