उज्जैन। बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करना न सिर्फ एक अच्छा आचरण माना जाता है, बल्कि प्यार बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होता है। पैर छूने के भी अनेक तरीके हैं। आम तौर पर झुककर पैरों या जूतों को हाथ लगाकर सम्मान दिया जाता है, लेकिन बस थोड़ा सा झुककर हाथ नीचे ले जाकर भी यह रस्म पूरी हो जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह रस्म क्यों है और इसके फायदे क्या हैं, अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं बड़ों के पैर छूने से होने वाले फायदों के बारे में....
हिन्दू संस्कृति में बड़ों का सम्मान व सेवा का व्यवहार व संस्कार में बहुत महत्व बताया गया है। तमाम हिन्दू धर्मग्रंथ जैसे रामायण, महाभारत आदि में बड़ों के सम्मान को सर्वोपरि बताया गया है। इनमें माता-पिता, गुरु, भाई सहित सभी बुजुर्गों के सम्मान के प्रसंगों में बड़ों से मिला आशीर्वाद संकटमोचक तक बताया गया है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष होता है, उन्हें रोज सुबह अपने घर के बड़ों का अशीर्वाद लेना चाहिए। इससे पितृदोष और कामों में आ रही रूकावट दूर होती है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में कहा गया है
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।। सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर सेवा करता है। उसकी उम्र, विद्या, यश और ताकत बढ़ती जाती है। इसलिए यदि जीवन में सफलता चाहिए तो रोज घर के बड़ों के चरण स्पर्श करने चाहिए।
असल में, बड़ों के सम्मान से आयु, यश, बल और विद्या बढ़ने के पीछे मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक वजह भी है। चूंकि सम्मान देते समय खुशी का भाव प्रकट होता है, जो देने और लेने वाले के साथ ही आस-पास के माहौल में भी उत्साह, उमंग व ऊर्जा से भरता है। आयु बढ़ाने में प्रसन्नता, ऊर्जा और बेहतर माहौल ही अहम और निर्णायक होते हैं। वहीं, सम्मान देना व्यक्ति का गुणी और संस्कारित होने का प्रमाण होने से दूसरे भी उसे सम्मान देते हैं। यही नहीं, ऐसे व्यक्ति को गुणी और ज्ञानी लोगों का संग और आशीर्वाद कई रूपों में प्राप्त होता है। अच्छे और गुणी लोगों का संग जीवन में बहुत बड़ी शक्ति बनकर बेहतर नतीजे तय करता है। इस तरह बड़ों का सम्मान आयु, यश, बल और ज्ञान के रूप में बहुत ही सुख और लाभ देता है।