Friday, September 5, 2014

बड़ों के पैर क्यों छूने चाहिए

उज्जैन। बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करना न सिर्फ एक अच्छा आचरण माना जाता है, बल्कि  प्यार बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होता है। पैर छूने के भी अनेक तरीके हैं। आम तौर पर झुककर पैरों या जूतों को हाथ लगाकर सम्मान दिया जाता है, लेकिन बस थोड़ा सा झुककर हाथ नीचे ले जाकर भी यह रस्म पूरी हो जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह रस्म क्यों है और इसके फायदे क्या हैं, अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं बड़ों के पैर छूने से होने वाले फायदों के बारे में....

हिन्दू संस्कृति में बड़ों का सम्मान व सेवा का व्यवहार व संस्कार में बहुत महत्व बताया गया है। तमाम हिन्दू धर्मग्रंथ जैसे रामायण, महाभारत आदि में बड़ों के सम्मान को सर्वोपरि बताया गया है। इनमें माता-पिता, गुरु, भाई सहित सभी बुजुर्गों के सम्मान के प्रसंगों में बड़ों से मिला आशीर्वाद संकटमोचक तक बताया गया है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष होता है, उन्हें रोज सुबह अपने घर के बड़ों का अशीर्वाद लेना चाहिए। इससे पितृदोष और कामों में आ रही रूकावट दूर होती है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में कहा गया है
 अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।  सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर सेवा करता है। उसकी उम्र, विद्या, यश और ताकत बढ़ती जाती है। इसलिए यदि जीवन में सफलता चाहिए तो रोज घर के बड़ों के चरण स्पर्श करने चाहिए।
असल में, बड़ों के सम्मान से आयु, यश, बल और विद्या बढ़ने के पीछे मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक वजह भी है। चूंकि सम्मान देते समय खुशी का भाव प्रकट होता है, जो देने और लेने वाले के साथ ही आस-पास के माहौल में भी उत्साह, उमंग व ऊर्जा से भरता है। आयु बढ़ाने में प्रसन्नता, ऊर्जा और बेहतर माहौल ही अहम और निर्णायक होते हैं। वहीं, सम्मान देना व्यक्ति का गुणी और संस्कारित होने का प्रमाण होने से दूसरे भी उसे सम्मान देते हैं। यही नहीं, ऐसे व्यक्ति को गुणी और ज्ञानी लोगों का संग और आशीर्वाद कई रूपों में प्राप्त होता है। अच्छे और गुणी लोगों का संग जीवन में बहुत बड़ी शक्ति बनकर बेहतर नतीजे तय करता है। इस तरह बड़ों का सम्मान आयु, यश, बल और ज्ञान के रूप में बहुत ही सुख और लाभ देता है।

इस दिशा में मुंह करके खाना खाएंगे तो प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी, ध्यान रखें ये बातें

उज्जैन। धर्मग्रंथों में भगवान के दर्शन के लिए सबसे पहले अन्न को ही ब्रह्म रूप में देखने की सीख देकर लिखा गया है। 'अन्नं ब्रह्म इति व्याजाना। साथ ही, भोजन व भोजन की शैली के बारे में भी अनेक बातें कही गए हैं। इसमें से प्रमुख है....

सुरभिस्त्वं जगन्मातर्देवि विष्णुपदे स्थिता। सर्वदेवमयी ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।।

गौरतलब है कि आज के दौर में गुजरे जमाने की तुलना में भोजनशैली और व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। जाहिर है इससे इंसान की सेहत, सोच, स्वभाव और व्यवहार में भी हुए कई बुरे बदलाव अक्सर बीमारियों या उग्र स्वभाव के रूप में नजर आते हैं। हमारे धर्मग्रंथों में भोजन को भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। कहा गया है कि यदि भोजन के समय कुछ छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा जाए तो शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है। साथ ही, मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं।

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भोजन के दौरान पूर्व दिशा में मुंह रखकर खाना खाने से उम्र बढ़ती है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुंह रख भोजन करने से श्री यानी मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, वैभव व तमाम सुख-शांति के साथ लक्ष्मी कृपा बरसती है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह रखकर भोजन करने से भरपूर यश मिलता है व उत्तर दिशा में भोजन करने से सत्य मिलता है यानी व्यक्ति का जीवन सात्विक प्रवृत्ति व आचरण के साथ गुजरता है।
- हिन्दू धर्म में भोजन से जुड़ी परंपराओं में श्राद्ध हो या बलिवैश्वदेव अलग-अलग रूप में हर रोज भोजन का पहला ग्रास अलग-अलग प्राणियों को देना भी जरूरी बताया गया है। इनमें सबसे ज्यादा शुभ है- देवप्राणी गाय को गो ग्रास देना। खाने से पहले गो ग्रास देने से घर पर हमेशा लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।

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कम खाने से इंसान निरोगी रहता है तो जाहिर है कि उसकी उम्र बढ़ती है यानी लंबे वक्त तक जीवित रहता है। कम भोजन से बना सेहतमंद और बलवान शरीर। मन, वचन व व्यवहार को भी साधकर जीवन के सारे सुख बटोरना आसान बना देता है। साथ ही, कम खाने वाले इंसान पर मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती है जबकि बहुत अधिक खाने से घर में दरिद्रता रहती है।
- भोजन से पहले आचमन करना चाहिए। उसके बाद सिर, मस्तक आदि ऊपरी अंगों को गीले हाथों से छूना चाहिए। इस तरह हाथ, पैर और मुंह को गीला कर भोजन करने से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। इस क्रिया को ''पञ्चाद्र्र'' शब्द से भी पुकारा गया है।

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जिस भोजन को ग्रहण कर रहें हैं उसकी बुराई न करें। भोजन के बाद भी आचमन और मुख प्रक्षालन यानी मुंह धोकर सिर, मस्तक आदि ऊपरी अंगों को गीले हाथों से छूकर उठना चाहिए।
- खाने के वक्त बिल्कुल शांत रहना चाहिए। भोजन के सामने आने पर प्रसन्न होना चाहिए। मन की सारे तनाव अन्न के दर्शन कर भूल जाना चाहिए।

अन्न का सम्मान करते हुए उसे पहले प्रतीकात्मक तौर पर प्राण वायु को देना चाहिए यानी भोजन से पहले गहरी सांस लेना चाहिए और भगवान का आवाह्न करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।